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संक्षिप्त जीवन परिचय
परम पूज्य १०८ आचार्य कल्प श्री श्रुत सागर जी महाराज
जन्म का नाम : श्री फागुलाल
जन्म तिथि : फ़ागुन माह अमावस्या
विक्रम संवत १९६२
जन्म स्थान : कोलकत्ता
पिता का नाम : श्री छोगा लाल जी
माता का नाम : श्रीमती गज्जो देवी
विवाह : श्रीमती बसंती देवी
पुत्र एवं पुत्री : ३ पुत्र एवं ३ पुत्री
(एक पुत्री वर्तमान में श्रुतमती माताजी)
Aacharya Kalp Shree 108 Shrut Sagar Ji Maharaj
ब्रह्मचर्य व्रत : आचार्य श्री शांति सागर जी परम्परा के श्री वीर सागर जी गुरुदेव का ईसरी में
विक्रम संवत २००९ में चातुर्मास हुआ तब आपने शुद्ध जल का व्रत लिया |
७ प्रतिमा का नियम : टौडाराय सिह में गुरुदेव श्री वीर सागर जी से विक्रम संवत २०११ में ७
प्रतिमा का नियम लिया ।
क्षुल्लक दीक्षा : कार्तिक कृष्णा त्रयोदशी, संवत २०११ (सन १९५४) को टौडाराय सिह में मुनि
श्री वीर सागर जी से क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण कर श्री चिदानंद सागर नाम करण हुआ तब आपकी
सबसे छोटी पुत्री सुशीला जी की उम्र मात्र ७ वर्ष की थी |
मुनि दीक्षा : जयपुर में भादव सुदी तीज संवत २०१४ (सन १९५७) को दीक्षा गुरु आचार्य
श्री वीर सागर जी ने मुनि दीक्षा प्रदान कर मुनि श्री श्रुतसागर नाम करण किया दशमी,
अजमेर (राजस्थान) |
सल्लेखना व्रत : 12 वर्ष का सल्लेखना नियम- आचार्य श्री धर्म सागर जी से (27 अप्रैल 1976)
वैशाख कृष्णा तेरस को १२ वर्ष का सल्लेखना व्रत लिया वैशाख शुक्ला तीज, (१९ अप्रैल १९८८)
को अनाज का त्याग किया, ३ दिन बाद (२२ अप्रैल १९८८) को दूध का त्याग किया, वैशाख
कृष्णा ग्यारस (२७ अप्रैल १९८८) को अतिशय क्षेत्र लूणवा में चारों प्रकार के आहार का त्याग
किया | यम सल्लेखना के ९ वें दिन ज्येष्ठ कृष्णा पंचमी (६ मई १९८८) को प्रातः ९:१५ को
आपकी समाधि हुई।
विशेष :
  • आचार्य श्री शांति सागर महाराज परम्परा को आचार्य शिरोमणि धर्मसागर जी महाराज की समाधि के बाद नये पट्टाचार्य बनने तक सघं को अपने संभाला था।
  • ब्रoराकेश भैया जी के द्वारा आपने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को एक संदेश भेजा कि आचार्य श्री का ज्ञान और चर्या दोनों अच्छी हैं, ग्रंथों के पद्दानुवाद की जगह किसी शास्त्र की हिंदी, संस्कृत टीका लिखे तो अच्छा रहेगा।
  • जब ब्रo अजीत जैन(मुनिश्री 108 अमित सागर जी महाराज) जब आचार्य धर्मसागर जी महाराज के पास संघ में रहने आए तो आचार्य श्री ने ब्रo अजीत भैया जी को आपके पास भेजा और कहा कि संघ मे श्रुतसागर जी महाराज के साथ रहो वो कुछ सीखा देंगे, अनुभवी साधु है |
  • आपने सघं के साथ विहार करते हुए बहुत सी जगह पर धर्म को और परम्परा को बचाने पंडित, विद्वानों के लिए शंका समाधान किया |
  • आपने मुनिश्री अमित सागर जी महाराज को पढ़ाया, तत्व को समझाया और आप मुनिश्री के शिक्षा गुरु है। मुनिश्री आपको आहार और औषधी अपने हाथ से देते थे और आपकी समाधि भी अच्छे से कराई थी ।
  • आर्यिका ज्ञानमति माताजी जी से क्षुo अवस्था में आपने संस्कृत की भक्तिया उच्चारण सीखा था ।

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