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६: श्री १००८ पद्मप्रभू जी भगवान का परिचय
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| भगवान का चिन्ह |
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कमल |
| देवगति से पूर्व भव का नाम |
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अपराजित |
| कहां से आये |
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उपरिमग्रेवेयक |
| गर्भ कल्याण तिथि |
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माघ कृष्ण छठ |
| जन्म कल्याण की तिथि |
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कार्तिक शुक्ल तेरस |
| जन्म नगरी |
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कौशाम्बी |
| वंश |
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इक्ष्वाकु |
| पिता का नाम |
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धरण |
| माता का नाम |
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सुशीमा |
| आयु |
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तीस लाख पूर्व |
| ऊंचाई |
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दो सौ पचास धनुष |
| वर्ण |
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विद्रुम (लाल) |
| वैराग्य का कारण |
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जाति स्मरण |
| दीक्षा की तिथि |
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कार्तिक शुक्ल तेरस |
| दीक्षा का समय |
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अपरांह |
| दीक्षा नगरी |
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कौशाम्बी |
| दीक्षा वन |
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मनोहर |
| दीक्षा पालकी |
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निवृत्तकारी |
| दीक्षा वृक्ष |
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प्रियंगु वृक्ष |
| दीक्षा समय उपवास |
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तृतीय भक्त |
| सह दीक्षित |
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एक हजार |
| प्रथम आहार नगरी |
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धान्यपुर (मंगलपुर) |
| प्रथम आहार किसने दिया |
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सोमदत्त |
| प्रथम आहार में क्या दिया |
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गौ क्षीर से बने पकवान |
| छद्मस्थकाल |
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छः वर्ष |
| केवल ज्ञान तिथि |
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चैत्र शुक्ल १५ |
| केवल ज्ञान समय |
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अपरांह |
| केवल ज्ञान का स्थान |
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कौशाम्बी |
| केवल ज्ञान वन |
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मनोहर वन |
| केवल ज्ञान वृक्ष |
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प्रियंगु |
| समवशरण का व्यास |
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साढ़े नौ योजन |
| समवशरण में कुल मुनियों की संख्या |
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तीन लाख तीस हजार |
| समवशरण में कुल आर्यिकाओं की
संख्या |
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चार लाख बीस हजार |
| कुल गणधर |
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एक सौ ग्यारह |
| मुख्य गणधर का नाम |
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चमर |
| मुख्य आर्यिका नाम |
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रविषेणा |
| कुल श्रावक |
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तीन लाख |
| कुल श्राविका |
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पांच लाख |
| मुख्य श्रोता |
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धर्मवीर्य |
| केवल ज्ञान के पूर्व उपवास |
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बेला दो उपवास |
| कितने यतिगण सिद्ध हुए |
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तीन लाख चैदह हजार |
| अनुबद्ध केवली की कुल संख्या |
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चौरासी |
| केवली काल का समय |
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छः मास सोलह पूर्व कम एक लाख पूर्व |
| मोक्ष की तिथि |
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फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी |
| मोक्ष का समय |
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अपरांह |
| मोक्ष का स्थान |
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सम्मेद शिखर (मोहनकूट) |
| साथ में मोक्ष जाने वालों की
संख्या |
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तीन सौ चालीस |
| योग निवृत्ति |
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एक मास पूर्व |
| मोक्ष के समय का आसन |
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खड्गासन |
| भगवान के समय चक्रवर्ती |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय बलदेव |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय नारायण |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय प्रतिनारायण |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय रुद्र |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय यक्ष |
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पुष्प |
| भगवान के समय यक्षिणीयां |
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मोहिनी |
| भगवान का विशेष पद |
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मण्डलीक राजा |
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