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३: श्री १००८ सम्भवनाथ भगवान का परिचय
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| भगवान का चिन्ह |
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घोड़ा |
| देवगति से पूर्व भव का नाम |
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विमल वाहन |
| कहां से आये |
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अधोग्रेवेयक |
| गर्भ कल्याण तिथि |
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फाल्गुन शुक्ला अष्टमी |
| जन्म कल्याण की तिथि |
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कार्तिक शुक्ला १५ |
| जन्म नगरी |
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श्रावस्ती |
| वंश |
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इक्ष्वाकु |
| पिता का नाम |
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जीतारी |
| माता का नाम |
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सुसेना |
| आयु |
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साठ लाख पूर्व |
| ऊंचाई |
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चार सौ धनुष |
| वर्ण |
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स्वर्ण |
| वैराग्य का कारण |
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मेघ विनाश |
| दीक्षा की तिथि |
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मार्गशीर्ष शुक्ला १५ |
| दीक्षा का समय |
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अपरान्ह |
| दीक्षा नगरी |
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श्रावस्ती |
| दीक्षा वन |
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सहेतुक |
| दीक्षा पालकी |
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सिद्धार्था |
| दीक्षा वृक्ष |
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शालमर्ली वृक्ष |
| दीक्षा समय उपवास |
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तृतीय उपवास |
| सह दीक्षित |
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एक हजार |
| प्रथम आहार नगरी |
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इष्टपुर |
| प्रथम आहार किसने दिया |
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सुरेन्द्र दत्त |
| प्रथम आहार में क्या दिया |
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गौ क्षीर से बने पकवान |
| छद्मस्थकाल |
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चौदह वर्ष |
| केवल ज्ञान तिथि |
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कार्तिक कृष्ण चौथ |
| केवल ज्ञान समय |
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अपरांह |
| केवल ज्ञान का स्थान |
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श्रावस्ती |
| केवल ज्ञान वन |
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सहेतुक वन |
| केवल ज्ञान वृक्ष |
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शाल |
| समवशरण का व्यास |
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ग्यारह योजन |
| समवशरण में कुल मुनियों की संख्या |
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दो लाख |
| समवशरण में कुल आर्यिकाओं की
संख्या |
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तीन लाख बीस हजार |
| कुल गणधर |
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एक सौ पांच |
| मुख्य गणधर का नाम |
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चारुदत्त |
| मुख्य आर्यिका नाम |
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धर्मश्री |
| कुल श्रावक |
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तीन लाख |
| कुल श्राविका |
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पांच लाख |
| मुख्य श्रोता |
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सत्यवीर |
| केवल ज्ञान के पूर्व उपवास |
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बेला दो उपवास |
| कितने यतिगण सिद्ध हुए |
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एक लाख सत्तर हजार एक सौ |
| अनुबद्ध केवली की कुल संख्या |
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चौरासी |
| केवली काल का समय |
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चौदह वर्ष चार पूर्व कम एक लाख पूर्व |
| मोक्ष की तिथि |
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चैत्र शुक्ला छट |
| मोक्ष का समय |
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अपरांह |
| मोक्ष का स्थान |
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सम्मेद शिखर (धवलकूट) |
| साथ में मोक्ष जाने वालों की
संख्या |
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एक हजार |
| योग निवृत्ति |
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एक मास पूर्व |
| मोक्ष के समय का आसन |
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खड्गासन |
| भगवान के समय चक्रवर्ती |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय बलदेव |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय नारायण |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय प्रतिनारायण |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय रुद्र |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय यक्ष |
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त्रिमुख |
| भगवान के समय यक्षिणीयां |
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प्रज्ञप्ति |
| भगवान का विशेष पद |
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मण्डलीक राजा |
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