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२३. श्री १००८ पाश्र्वनाथ भगवान का परिचय
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| भगवान का चिन्ह |
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सर्प |
| देवगति से पूर्व भव का नाम |
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आनन्द |
| कहां से आये |
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प्राणत |
| गर्भ कल्याण तिथि |
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बैशाख कृष्ण दूज |
| जन्म कल्याण की तिथि |
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पौष कृष्ण ग्यारस |
| जन्म नगरी |
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वाराणसी |
| वंश |
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उग्र |
| पिता का नाम |
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अश्वसेन |
| माता का नाम |
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वामादेवी |
| आयु |
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सौ वर्ष |
| ऊंचाई |
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नौ हाथ |
| वर्ण |
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हरित |
| वैराग्य का कारण |
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जातिस्मरण |
| दीक्षा की तिथि |
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पौष कृष्ण ग्यारस |
| दीक्षा का समय |
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पूर्वान्ह |
| दीक्षा नगरी |
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वाराणसी |
| दीक्षा वन |
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सुतापसाश्रम |
| दीक्षा पालकी |
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विमला |
| दीक्षा वृक्ष |
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देवदारू |
| दीक्षा समय उपवास |
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अष्टमभक्त तृतीय |
| सह दीक्षित |
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तीन सौ |
| प्रथम आहार नगरी |
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द्वाराखेट |
| प्रथम आहार किसने दिया |
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ब्रह्मदत्त |
| प्रथम आहार में क्या दिया |
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गौ क्षीर से बने पकवान |
| छद्मस्थकाल |
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चार मास |
| केवल ज्ञान तिथि |
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चैत्र कृष्ण चैथ |
| केवल ज्ञान समय |
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पूर्वान्ह |
| केवल ज्ञान का स्थान |
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शुक्रपुर |
| केवल ज्ञान वन |
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अश्ववन |
| केवल ज्ञान वृक्ष |
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धव |
| समवशरण का व्यास |
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सवा योजन |
| समवशरण में कुल मुनियों की संख्या |
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सोलह हजार |
| समवशरण में कुल आर्यिकाओं की
संख्या |
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अड़तीस हजार |
| कुल गणधर |
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दस |
| मुख्य गणधर का नाम |
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स्वयंभू |
| मुख्य आर्यिका नाम |
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सुलोका |
| कुल श्रावक |
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एक लाख |
| कुल श्राविका |
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तीन लाख |
| मुख्य श्रोता |
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महासेन |
| केवल ज्ञान के पूर्व उपवास |
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तेला तीन उपवास |
| कितने यतिगण सिद्ध हुए |
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छः हजार दो सौ |
| अनुबद्ध केवली की कुल संख्या |
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तीन |
| केवली काल का समय |
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चार माह कम सत्तर वर्ष |
| मोक्ष की तिथि |
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श्रावण शुक्ल सप्तमी |
| मोक्ष का समय |
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पूर्वान्ह |
| मोक्ष का स्थान |
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सम्मेद शिखर (सुर्वणभद्रकूट) |
| साथ में मोक्ष जाने वालों की
संख्या |
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कोई नहीं |
| योग निवृत्ति |
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एक मास पूर्व |
| मोक्ष के समय का आसन |
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खड्गासन |
| भगवान के समय चक्रवर्ती |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय बलदेव |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय नारायण |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय प्रतिनारायण |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय रुद्र |
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महादेव |
| भगवान के समय यक्ष |
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मातंग |
| भगवान के समय यक्षिणीयां |
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पद्मावती |
| भगवान का विशेष पद |
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बालब्रह्मचारी |
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