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२१. श्री १००८ नमिनाथ भगवान का परिचय
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| भगवान का चिन्ह |
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नीलकमल |
| देवगति से पूर्व भव का नाम |
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सिद्धार्थ |
| कहां से आये |
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अपराजित |
| गर्भ कल्याण तिथि |
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आश्विन कृष्ण दौज |
| जन्म कल्याण की तिथि |
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अषाढ़ कृष्ण दसमी |
| जन्म नगरी |
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मिथिला |
| वंश |
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इक्ष्वाकु |
| पिता का नाम |
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विजय |
| माता का नाम |
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वप्रीला |
| आयु |
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दस हजार वर्ष |
| ऊंचाई |
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पन्द्रह धनुष |
| वर्ण |
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स्वर्ण |
| वैराग्य का कारण |
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जातिस्मरण |
| दीक्षा की तिथि |
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अषाढ़ कृष्ण दसमी |
| दीक्षा का समय |
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अपरान्ह |
| दीक्षा नगरी |
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मिथिलापुर |
| दीक्षा वन |
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चैत्रोद्यान |
| दीक्षा पालकी |
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उत्तरकुरु |
| दीक्षा वृक्ष |
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वकुल |
| दीक्षा समय उपवास |
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तृतीय भक्त |
| सह दीक्षित |
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एक हजार |
| प्रथम आहार नगरी |
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राजगृही |
| प्रथम आहार किसने दिया |
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दत्तराज |
| प्रथम आहार में क्या दिया |
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गौ क्षीर से बने पकवान |
| छद्मस्थकाल |
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नौ मास |
| केवल ज्ञान तिथि |
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मार्गशीर्ष शुक्ल ग्यारस |
| केवल ज्ञान समय |
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अपरान्ह |
| केवल ज्ञान का स्थान |
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मिथिला |
| केवल ज्ञान वन |
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चैत्र वन |
| केवल ज्ञान वृक्ष |
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वकुल |
| समवशरण का व्यास |
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दो योजन |
| समवशरण में कुल मुनियों की संख्या |
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पैंतालीस हजार |
| समवशरण में कुल आर्यिकाओं की
संख्या |
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पचास हजार |
| कुल गणधर |
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सत्रह |
| मुख्य गणधर का नाम |
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सुप्रभ |
| मुख्य आर्यिका नाम |
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मार्गिणी |
| कुल श्रावक |
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एक लाख |
| कुल श्राविका |
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तीन लाख |
| मुख्य श्रोता |
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विजय |
| केवल ज्ञान के पूर्व उपवास |
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वेला दो उपवास |
| कितने यतिगण सिद्ध हुए |
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नौ हजार छः सौ |
| अनुबद्ध केवली की कुल संख्या |
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आठ |
| केवली काल का समय |
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नौ वर्ष कम ढ़ाई हजार वर्ष |
| मोक्ष की तिथि |
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बैशाख कृष्ण चौदस |
| मोक्ष का समय |
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अपरान्ह |
| मोक्ष का स्थान |
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सम्मेद शिखर (मित्रधरकूट) |
| साथ में मोक्ष जाने वालों की
संख्या |
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एक हजार |
| योग निवृत्ति |
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एक मास पूर्व |
| मोक्ष के समय का आसन |
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खड्गासन |
| भगवान के समय चक्रवर्ती |
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जयसेन |
| भगवान के समय बलदेव |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय नारायण |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय प्रतिनारायण |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय रुद्र |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय यक्ष |
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गोमेद |
| भगवान के समय यक्षिणीयां |
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चामण्डी |
| भगवान का विशेष पद |
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मंडलीक राजा |
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