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२०. श्री १००८ मुनिसुब्रतनाथ भगवान का परिचय
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| भगवान का चिन्ह |
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कछुआ |
| देवगति से पूर्व भव का नाम |
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हरिवर्मा |
| कहां से आये |
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आनत |
| गर्भ कल्याण तिथि |
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श्रावण कृष्ण दूज |
| जन्म कल्याण की तिथि |
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बैशाख कृष्ण दसमी |
| जन्म नगरी |
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राजगृही |
| वंश |
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यादव |
| पिता का नाम |
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सुमित्र |
| माता का नाम |
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पद्मा |
| आयु |
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तीस हजार वर्ष |
| ऊंचाई |
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बीस धनुष |
| वर्ण |
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श्याम |
| वैराग्य का कारण |
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जातिस्मरण |
| दीक्षा की तिथि |
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बैशाख कृष्ण दसमी |
| दीक्षा का समय |
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अपरान्ह |
| दीक्षा नगरी |
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राजगृही |
| दीक्षा वन |
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नीलोद्यान |
| दीक्षा पालकी |
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अपराजित |
| दीक्षा वृक्ष |
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चम्पक |
| दीक्षा समय उपवास |
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तृतीय उपवास |
| सह दीक्षित |
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एक हजार |
| प्रथम आहार नगरी |
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मिथिलापुर |
| प्रथम आहार किसने दिया |
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वृषभसेन |
| प्रथम आहार में क्या दिया |
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गौ क्षीर से बने पकवान |
| छद्मस्थकाल |
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ग्यारह मास |
| केवल ज्ञान तिथि |
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बैशाख कृष्ण नवमीं |
| केवल ज्ञान समय |
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पूर्वान्ह |
| केवल ज्ञान का स्थान |
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कुशाग्रनगर |
| केवल ज्ञान वन |
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नील वन |
| केवल ज्ञान वृक्ष |
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चम्पक |
| समवशरण का व्यास |
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ढ़ाई योजन |
| समवशरण में कुल मुनियों की संख्या |
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तीस हजार |
| समवशरण में कुल आर्यिकाओं की
संख्या |
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पचास हजार |
| कुल गणधर |
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दस |
| मुख्य गणधर का नाम |
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मल्लि |
| मुख्य आर्यिका नाम |
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पूर्वदत्ता |
| कुल श्रावक |
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एक लाख |
| कुल श्राविका |
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तीन लाख |
| मुख्य श्रोता |
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अजितंजय |
| केवल ज्ञान के पूर्व उपवास |
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अष्टमभक्त तीन उपवास |
| कितने यतिगण सिद्ध हुए |
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उन्नीस हजार दो सौ |
| अनुबद्ध केवली की कुल संख्या |
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बारह |
| केवली काल का समय |
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ग्यारह माह कम साढ़े सात हजार वर्ष |
| मोक्ष की तिथि |
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फाल्गुन कृष्ण बारस |
| मोक्ष का समय |
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पूर्वान्ह |
| मोक्ष का स्थान |
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सम्मेद शिखर (निर्जरकूट) |
| साथ में मोक्ष जाने वालों की
संख्या |
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एक हजार |
| योग निवृत्ति |
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एक मास पूर्व |
| मोक्ष के समय का आसन |
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खड्गासन |
| भगवान के समय चक्रवर्ती |
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हरिषेण |
| भगवान के समय बलदेव |
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राम |
| भगवान के समय नारायण |
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लक्ष्मण |
| भगवान के समय प्रतिनारायण |
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रावण |
| भगवान के समय रुद्र |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय यक्ष |
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भ्रकुटि |
| भगवान के समय यक्षिणीयां |
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बहुरूपिणि |
| भगवान का विशेष पद |
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मंडलीक राजा |
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