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१: श्री १००८ आदिनाथ भगवान का परिचय
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| भगवान का चिन्ह |
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बैल |
| देवगति से पूर्व भव का नाम |
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बज्र नाभि |
| कहां से आये |
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सवार्थ सिद्धि |
| गर्भ कल्याण तिथि |
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आषाढ़ कृष्णा दौज |
| जन्म कल्याण की तिथि |
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चैत्र कृष्णा नवमी |
| जन्म नगरी |
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अयोध्या |
| वंश |
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इक्ष्वाकु |
| पिता का नाम |
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नाभिराय |
| माता का नाम |
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मरूदेवी |
| आयु |
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चौरासी लाख पूर्व |
| ऊंचाई |
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पांच सौ धनुष |
| वर्ण |
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स्वर्ण |
| वैराग्य का कारण |
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नीलांजना का मरण |
| दीक्षा की तिथि |
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चैत्र कृष्णा नवमी |
| दीक्षा का समय |
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अपरान्ह |
| दीक्षा नगरी |
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प्रयाग |
| दीक्षा वन |
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सिद्धार्थ |
| दीक्षा पालकी |
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सुदर्शन |
| दीक्षा वृक्ष |
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वट वृक्ष |
| दीक्षा समय उपवास |
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छः मास |
| सह दीक्षित |
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चार हजार |
| प्रथम आहार नगरी |
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हस्तिनापुर |
| प्रथम आहार किसने दिया |
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राजा श्रेयांस (सोमप्रभ) |
| प्रथम आहार में क्या दिया |
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इक्षुरस |
| छद्मस्थकाल |
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एक हजार वर्ष |
| केवल ज्ञान तिथि |
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फाल्गुन कृष्ण ग्यारस |
| केवल ज्ञान समय |
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पूर्वान्ह |
| केवल ज्ञान का स्थान |
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पुरमि ताल |
| केवल ज्ञान वन |
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संकट वन |
| केवल ज्ञान वृक्ष |
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न्यग्रोध |
| समवशरण का व्यास |
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बारह योजन |
| समवशरण में कुल मुनियों की संख्या |
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तीन लाख पचास हजार |
| कुल गणधर |
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चौरासी |
| मुख्य गणधर का नाम |
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वृषभसेन |
| मुख्य आर्यिका नाम |
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ब्राह्मी |
| कुल श्रावक |
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तीन लाख |
| कुल श्राविका |
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पांच लाख |
| मुख्य श्रोता |
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भरत |
| केवल ज्ञान के पूर्व उपवास |
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अष्टभक्त तीन उपवास |
| कितने यतिगण सिद्ध हुए |
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साठ हजार नौ सौ |
| अनुबद्ध केवली की कुल संख्या |
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चौरासी |
| केवली काल का समय |
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एक हजार वर्ष कम एक लाख पूर्व |
| मोक्ष की तिथि |
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माघ कृष्ण चैदस |
| मोक्ष का समय |
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पूर्वान्ह |
| मोक्ष का स्थान |
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कैलाश पर्वत (हिमालय) |
| साथ में मोक्ष जाने वालों की
संख्या |
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दस हजार |
| योग निवृत्ति |
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चौदह दिन |
| मोक्ष के समय का आसन |
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पद्मासन |
| भगवान के समय चक्रवर्ती |
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भरत चक्रवर्ती |
| भगवान के समय बलदेव |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय नारायण |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय प्रतिनारायण |
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कोई नहीं |
| भगवान के समय रुद्र |
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भीमावली |
| भगवान के समय यक्ष |
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गोमुख यक्ष |
| भगवान के समय यक्षिणीयां |
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चक्रेश्वरी |
| भगवान का विशेष पद |
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मण्डलीक राजा |
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