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१५. श्री १००८ धर्मनाथ भगवान का परिचय
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भगवान का चिन्ह |
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बज्र |
देवगति से पूर्व भव का नाम |
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दशरथ |
कहां से आये |
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सर्वाथसिद्धि |
गर्भ कल्याण तिथि |
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वैशाख शुक्ल अष्टमी |
जन्म कल्याण की तिथि |
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माघ शुक्ल तेरस |
जन्म नगरी |
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रतनपुर |
वंश |
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कुरू |
पिता का नाम |
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भानु |
माता का नाम |
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सुब्रता |
आयु |
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दस लाख वर्ष |
ऊंचाई |
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पैंतालिस धनुष |
वर्ण |
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उल्कापात |
वैराग्य का कारण |
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स्वर्ण |
दीक्षा की तिथि |
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माघ शुक्ल तेरस |
दीक्षा का समय |
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अपरान्ह |
दीक्षा नगरी |
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रतनपुर |
दीक्षा वन |
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शालवन |
दीक्षा पालकी |
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नागदत्ता |
दीक्षा वृक्ष |
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सप्तच्छद |
दीक्षा समय उपवास |
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तृतीय भक्त |
सह दीक्षित |
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एक हजार |
प्रथम आहार नगरी |
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पाटलीपुत्र |
प्रथम आहार किसने दिया |
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धन्यसेन |
प्रथम आहार में क्या दिया |
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गौ क्षीर से बने पकवान |
छद्मस्थकाल |
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एक वर्ष |
केवल ज्ञान तिथि |
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पौष शुक्ल पूर्णमा |
केवल ज्ञान समय |
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अपरांह |
केवल ज्ञान का स्थान |
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रतनपुर |
केवल ज्ञान वन |
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सहेतुक |
केवल ज्ञान वृक्ष |
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दधिपर्ण |
समवशरण का व्यास |
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पांच योजन |
समवशरण में कुल मुनियों की संख्या |
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चौसठ हजार |
समवशरण में कुल आर्यिकाओं की
संख्या |
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बासठ हजार चार सौ |
कुल गणधर |
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तैंतालिस |
मुख्य गणधर का नाम |
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सेन |
मुख्य आर्यिका नाम |
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सुब्रता |
कुल श्रावक |
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दो लाख |
कुल श्राविका |
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चार लाख |
मुख्य श्रोता |
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सत्यदत्त |
केवल ज्ञान के पूर्व उपवास |
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तेेला तीन उपवास |
कितने यतिगण सिद्ध हुए |
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उन्चास हजार सात सौ |
अनुबद्ध केवली की कुल संख्या |
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बत्तीस |
केवली काल का समय |
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एक वर्ष कम पच्चीस हजार वर्ष |
मोक्ष की तिथि |
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ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी |
मोक्ष का समय |
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अपरांह |
मोक्ष का स्थान |
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सम्मेद शिखर (सुदत्तवरकूट) |
साथ में मोक्ष जाने वालों की
संख्या |
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आठ सौ एक |
योग निवृत्ति |
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एक मास पूर्व |
मोक्ष के समय का आसन |
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खड्गासन |
भगवान के समय चक्रवर्ती |
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माधवासनत्कुमार |
भगवान के समय बलदेव |
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सुदर्शन |
भगवान के समय नारायण |
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पुरुषसिंह |
भगवान के समय प्रतिनारायण |
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निशुभ |
भगवान के समय रुद्र |
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अजितनाभि |
भगवान के समय यक्ष |
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किन्नर |
भगवान के समय यक्षिणीयां |
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मानसी |
भगवान का विशेष पद |
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मण्डलीक राजा |
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