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१३. श्री १००८ विमलनाथ भगवान का परिचय
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भगवान का चिन्ह |
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शूकर |
देवगति से पूर्व भव का नाम |
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पद्मसेन |
कहां से आये |
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सतार |
गर्भ कल्याण तिथि |
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ज्येष्ठ कृष्ण दशमी |
जन्म कल्याण की तिथि |
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माघ शुक्ल चैथ |
जन्म नगरी |
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कम्पिलापुरी |
वंश |
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इक्ष्वाकु |
पिता का नाम |
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कृतवर्मा |
माता का नाम |
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जयश्यामा |
आयु |
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साठ लाख वर्ष |
ऊंचाई |
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साठ धनुष |
वर्ण |
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स्वर्ण |
वैराग्य का कारण |
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मेघनाश |
दीक्षा की तिथि |
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माघ शुक्ल चौथ |
दीक्षा का समय |
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अपरान्ह |
दीक्षा नगरी |
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कम्पिला |
दीक्षा वन |
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सहेतुक |
दीक्षा पालकी |
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देवदत्ता |
दीक्षा वृक्ष |
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जम्बू |
दीक्षा समय उपवास |
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तृतीय उपवास |
सह दीक्षित |
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एक हजार |
प्रथम आहार नगरी |
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राजगृही |
प्रथम आहार किसने दिया |
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जयराजा |
प्रथम आहार में क्या दिया |
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गौ क्षीर से बने पकवान |
छद्मस्थकाल |
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तीन वर्ष |
केवल ज्ञान तिथि |
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माघ शुक्ल छठ |
केवल ज्ञान समय |
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अपरांह |
केवल ज्ञान का स्थान |
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कम्पिला जी |
केवल ज्ञान वन |
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सहेतुक |
केवल ज्ञान वृक्ष |
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जम्बू |
समवशरण का व्यास |
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छः योजन |
समवशरण में कुल मुनियों की संख्या |
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अड़सठ हजार |
समवशरण में कुल आर्यिकाओं की
संख्या |
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एक लाख तीन हजार |
कुल गणधर |
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पचपन |
मुख्य गणधर का नाम |
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जय |
मुख्य आर्यिका नाम |
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पद्मा |
कुल श्रावक |
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दो लाख |
कुल श्राविका |
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चार लाख |
मुख्य श्रोता |
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पुरुषोत्तम |
केवल ज्ञान के पूर्व उपवास |
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बेला दो उपवास |
कितने यतिगण सिद्ध हुए |
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इक्यावन हजार तीन सौ |
अनुबद्ध केवली की कुल संख्या |
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चालीस |
केवली काल का समय |
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तीन वर्ष कम पन्द्रह लाख पूर्व |
मोक्ष की तिथि |
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आषाढ़ कृष्ण छठ |
मोक्ष का समय |
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अपरांह |
मोक्ष का स्थान |
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सम्मेद शिखर (सुवीरकूट) |
साथ में मोक्ष जाने वालों की
संख्या |
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छः सौ |
योग निवृत्ति |
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एक मास पूर्व |
मोक्ष के समय का आसन |
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खड्गासन |
भगवान के समय चक्रवर्ती |
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कोई नहीं |
भगवान के समय बलदेव |
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धर्म |
भगवान के समय नारायण |
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स्वंयभू |
भगवान के समय प्रतिनारायण |
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मेरक |
भगवान के समय रुद्र |
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पुण्डरीक |
भगवान के समय यक्ष |
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षणमुख |
भगवान के समय यक्षिणीयां |
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वैरोही |
भगवान का विशेष पद |
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मण्डलीक राजा |
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